दोस्तों आज का मेरा बिषय है “जिम्मेदारी की शक्ति” dear friends समय और दिमाग सबको एक सामान मिलने के वजाय भी कुछ ही लोग रतन टाटा, धीरू, भाई अम्बानी, जिंदल जैसे लोग ही क्यों बन पाए Successful सोचने वाली बात है क्यों की कुछ ही लोग ही समझ पाए समय की Value और जिमेदारी की शक्ति को।
और आज भी अधिकतर लोग time की Value को नहीं समझते है। और जिम्मेदारी खुद से तो लेते नहीं है अगर कोई देता भी है तो लेने से कतराते है शायद उनको ये बात पता नहीं है की जिम्मेदारी सबको सबकुछ सीखा देती है।
अधिकतर लोग समय को value को नहीं जानते है और वो खर्च कर देते है वही दूसरी तरफ रतन टाटा जैसे सफल लोग समय को इन्वेस्ट करते है और समय की respect करते है क्यों की वो वैल्यू को अच्छे तरह से समझते है और जिम्मेदारी लेने के लिए हमेशा आगे रहते है।
दोस्तों हम सबको ये समझना पड़ेगा की “जिम्मेदारी ही एक ऐसी चीज है जो की कभी दी नहीं जाती केवल ली जाती है”। चलिए एक छोटा सा स्टोरी से समझते है।
- माता बैष्णो देवी मंदिर के सीढ़ियों पर एक साधु बाबा और एक 13 साल की लड़की चढ़ रही थी। लड़की एक 1 साल के एक बच्चा को पीठ पे ले कर चढ़ रही थी और दूसरी तरफ साधु बाबा एक बड़ा सा पोटली लटकाये हुये सीढिया चढ़ रहे थे।
दोनों सीढिया चढते चढ़ते काफी थक गए थे और हाफ भी रहे थे तभी साधु बाबा ने लड़की से बोले की बेटी तुम बहुत थक गई होगी तुमने बहुत बड़ा बोझ अपने पीठ पे उठा राखी हो तभी लड़की ने बाबा से तुरंत बोली बाबा बोझ तो आप ने उठा रखा है ये तो मेरा भाई है।
दोस्तों इस कहानी से हमें ये सिख मिलती है की अगर जिम्मदारी लेने की नजरिया अगर हमारी काम से बड़ी है तो हम कभी हार नहीं सकते चाहे काम कितनी ही बड़ी क्यों न हो।
फ्रैंडस हम सबको कभी नहीं भूलना चाहिए की “जिम्मेदारी ही एक ऐसी चीज है की कभी दी नहीं जाती केवल ली जाती है। …. जिम्मेदारी ही एक ऐसी चीज है की कभी दी नहीं जाती केवल ली जाती है”
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