Corona ka kahar Lockdown Beasar– दोस्तो इस Corona कोरोना काल में और Lockdown के परिस्थिति को देखते हुए हमने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव देने की कोशिश की है और आपलोगों से निवेदन है कि आपलोग इसे पूरा जरूर पढ़ें और अपने भाई बहन और मित्रों को shareसाझा जरुर करें ताकि वो लोग भी इससे अवगत रहे ।
दोस्तो Corona कोरोना को आज भी बहुत से लोग हल्के में ले रहे है जो कि ये बिलकुल भी उचित नही है हम सबके लिए। क्यों सही नहीं है चलिए समझते है एक छोटा सा real रियल स्टोरी से जिसे हमने बहुत नजदीक से देखा है और उसका story नाम दिया है।
- दोस्तों Corona कोरोना और Lockdwon को हल्के में लेते हुए एक आदमी Lockdown लॉक डाऊन में बाहर निकल जाता है फिर क्या होता है जानिए उसका हश्र मेरी जुबानी :
- जी हा रमेश एक दिन Lockdwon को हल्के में लेते हुए बाहर निकल जाता है फिर क्या उसको एक दिन अचानक Fever बुख़ार आता है। फिर गले में दर्द होता है और साँस लेने में कष्ट होने लगता है। फिर वो अपना Covid टेस्ट कराने जाता है टेस्ट होता है
- रिपोर्ट आने तक उसका दिन तनाव में बीतता हैं फिर उसका रिपोर्ट आता है अब टेस्ट में Corona Positive आता है और फिर उसके यहाँ नगर पालिका की टीम और Polish पुलिस टीम आती है।
फिर Ambulance एम्बुलेंस उसके कॉलोनी में आती है फिर कॉलोनीवासी खिड़की से झाँक कर उसे देखते हैं कुछ लोग तो उसके लिए टिप्पणियां भी कर रहे है कुछ तो मन ही मन हँस भी रहे है तभी एम्बुलेंस वाले उपयोग के कपड़े रखने को कहते हैं उससे बेचारे घरवाले उसे जी भर कर देखते हैं फिर टेन्सन में आ जाते है और सोचने लगते है कि अब पता नहीं और कौन कौन होगा इस संक्रमण के चपेट में।
तभी उसके आँखों से आँसू निकल रहे होते हैं… तभी प्रशासन बोलता है… चलो जल्दी बैठो…एम्बुलेंस का दरवाजा बन्द हो जाता है. . और सायरन बजाते हुए चली जाती है!
फिर कॉलोनी वाले बाहर निकलते है ..फिर पोलिस वाले के द्वारा कॉलोनी सील कर दी जाती है !
अब उसको आइसोलेशन में रखा जाता है और दो वक्त का जीवन योग्य खाना मिलता है। फिर डॉक्टर और भगवान के भरोसे 14 to 21 दिन के लिए Isolation आइसोलेशन में बंद कर दिया गया ।
फिर उसका हर 7 दिनों के अंतराल में 3 तीन टेस्ट हुआ। जब 3 तीन टेस्ट रिपोर्ट Negativeनेगेटिव आया तब वह घर वापस आ सका।
दोस्तों लेकिन इलाज के दौरान यदि उसके साथ कोई अनहोनी हो गई तो . . .?_
- उसके शरीर को प्लास्टिक के कवर में पैक कर सीधे शवदाहगृह में भेज दिया जाता और शायद अपनों को अंतिमदर्शन भी नसीब नहीं होता कोई अंत्येष्टि क्रिया भी नहीं होगा सिर्फ उसके परिजनों को एक डेथ सर्टिफिकेट मिल पाता वो भी इसलिए कि वसीयत का नामांतरण करवाने के लिए.. और खेल खत्म… बेचारा चला गया . . . अच्छा था इसलिये.._
- मेरे प्यारे दोस्तों इसीलिए आप बेवजह बाहर मत निकलिए . . . घर में सुरक्षित रहिए . बाह्य जगत का मोह और हर बात को हल्के में लेने की आदतें त्यागिए . . .
- साल 2020 काम धंधे और कमाई करने का नहीं है पिछले वर्षों में जो आप कमाए है उसे खर्च करिये मार्च 2020 से दिसम्बर 2020 तक 10 माह कमाने का वर्ष नही है जीवन बचाने का वर्ष है।
Life is precious-जीवन अनमोल है ….कड़वा है किंतु यही सत्य है !
Friends हमेसा याद रखे Lockdown में छूट सरकार ने दी है, कोरोना ने नही सरकार ने तो लॉकडाउन खोल दिया लेकिन आप सावधान रहिये, क्योंकि आप सरकार कि नजर में मात्र एक संख्या हैं लेकिन अपने परिवार के लिये आप पूरी दुनिया हैं !
आपका जीवन अनमोल है !
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